थ्री-पीस इनफ्लेटेबल पेनाइल इम्प्लांट्स आज दुनिया भर में पुरुष यौन स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी समाधान माने जाते हैं। बड़े-बड़े सेलिब्रिटीज, जज, और यहां तक कि कई देशो के राष्ट्रपति भी इसको चुन चुके हैं। इन इम्प्लांट्स में पंप, रिज़रवॉयर और वाल्व जैसे मैकेनिकल हिस्से होते हैं जो इरेक्शन को प्राकृतिक तरीके से बनाए रखते हैं।
लेकिन यह समझना जरूरी है कि इनफ्लेटेबल इम्प्लांट्स भी मशीनों की तरह मैकेनिकल फेलियर से मुक्त नहीं हैं। इस ब्लॉग में हम समझेंगे कि यह फेलियर क्यों होता है, कैसे इसका समाधान किया जाता है, और रिवीजन सर्जरी क्यों महत्वपूर्ण है।
थ्री-पीस इनफ्लेटेबल पेनाइल इम्प्लांट क्या है?
थ्री-पीस पेनाइल इम्प्लांट एक हाइड्रोलिक सिस्टम पर आधारित होता है जिसमें तीन प्रमुख हिस्से होते हैं:
- सिलेंडर – जिसे लिंग के भीतर लगाया जाता है।
- पंप – जो अंडकोष के नीचे स्क्रोटम में होता है।
- रिज़रवॉयर (Reservoir) – जो शरीर के भीतर द्रव को संग्रहित करता है।
जब मरीज पंप दबाता है, तो रिज़रवॉयर से द्रव सिलेंडर में जाता है और इरेक्शन प्राप्त होता है। डिफ्लेशन बटन दबाने पर यह द्रव वापस रिज़रवॉयर में लौट जाता है।
मैकेनिकल फेलियर क्या है और क्यों होता है?
इन इम्प्लांट्स के हर हिस्से में चलायमान मैकेनिकल पार्ट्स होते हैं। इसलिए यह पूरी तरह संभव है कि समय के साथ इनमें तकनीकी खराबी (mechanical failure) आ जाए।
डॉ. विजयंत के अनुसार, “अगर कोई कहे कि ये इम्प्लांट कभी खराब नहीं हो सकते तो वो झूठ है।”
संभावित कारण:
- मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट (1 में से 1000 मामलों में)
- मिस हैंडलिंग या अत्यधिक दबाव
- लंबे समय के उपयोग से पार्ट्स का घिसना
- अग्रेसिव यौन क्रिया या पंप का बार-बार उपयोग
विश्व स्तर पर प्रकाशित स्टडीज़ बताती हैं कि लगभग 92% इम्प्लांट्स 10 साल तक बिना किसी समस्या के चलते हैं, जबकि केवल 8% मामलों में मैकेनिकल इश्यू आते हैं। इनमें से भी केवल 1–2% को ही पूरी तरह से रिप्लेस करना पड़ता है।
वारंटी और कंपनियों की नीति
दुनिया भर में मुख्य रूप से तीन ब्रांड के इम्प्लांट्स उपयोग में लाए जाते हैं:
- AMS 700 (Boston Scientific)
- Rigicon Infla 10 (Rigicon, Netherlands)
- Coloplast Titan (USA)
इनमें से Rigicon कंपनी अपने इम्प्लांट्स पर लाइफटाइम वारंटी देती है — यदि कभी भी इम्प्लांट खराब होता है, तो कंपनी “नो क्वेश्चन आस्क्ड” पॉलिसी के तहत नया इम्प्लांट देती है। वहीं AMS कंपनी केवल 5 साल की वारंटी प्रदान करती है।
रिवीजन सर्जरी क्यों मुश्किल होती है?
रिवीजन सर्जरी का मतलब है पुराने इम्प्लांट को निकालकर नया इम्प्लांट लगाना। यह प्रक्रिया सामान्य इम्प्लांट सर्जरी की तुलना में कहीं अधिक जटिल होती है।
इसकी चुनौतियाँ:
- पुराना स्कार टिशू (scar tissue)
- इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाना
- स्पेस मॉडिफिकेशन और सटीक मेजरमेंट की आवश्यकता
- अत्यधिक सावधानी और स्टेराइल वातावरण
डॉ. विजयंत बताते हैं कि, “हम इम्प्लांट सर्जरी में सात से आठ बार ग्लव्स चेंज करते हैं ताकि कोई इंफेक्शन न हो।”
रिवीजन सर्जरी को लगभग 1.5 घंटे का समय लगता है, जिसमें सर्जन को बेहद ध्यानपूर्वक पुराने इम्प्लांट को निकालकर नया लगाना होता है।
इन्हें भी पढ़ें
नई पीढ़ी के जॉइंटलेस इम्प्लांट्स
पुराने इम्प्लांट्स में अक्सर पंप और सिलेंडर के जंक्शन पर टूटने की समस्या होती थी। अब सभी प्रमुख कंपनियों ने सिंगल-पीस जॉइंटलेस डिजाइन अपनाना शुरू कर दिया है। इससे फेलियर रेट और भी कम (3–4%) हो गया है। इससे यह उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में इनफ्लेटेबल पेनाइल इम्प्लांट्स में लगभग शून्य मैकेनिकल फेलियर संभव होगा।
विशेषज्ञ केंद्र का महत्व
डॉ. विजयंत गोविंदा गुप्ता का गोविंदा मेडिसेंटर, दिल्ली, भारत में एक प्रमुख “रिवीजन सेंटर फॉर इनफ्लेटेबल इम्प्लांट्स” है। यह केंद्र Rigicon का “ग्लोबल रेफरेंस सेंटर” भी है — यह दर्जा दुनिया में बहुत ही कम सर्जनों को प्राप्त है।
एक अच्छे सेंटर के तीन फायदे:
- पहली सर्जरी में उच्च गुणवत्ता और सफलता दर।
- जरूरत पड़ने पर रिवीजन सर्जरी की विशेषज्ञता।
- ग्लोबल सर्टिफाइड अनुभव और विश्वसनीयता।
Visit Our Men’s Health Website

इनफ्लेटेबल पेनाइल इम्प्लांट सर्जरी एक अत्याधुनिक, सुरक्षित और विश्वसनीय समाधान है। अगर कभी मैकेनिकल फेलियर हो भी जाए, तो अनुभवी सर्जन इसे आसानी से ठीक कर सकते हैं। इंफेक्शन अत्यंत दुर्लभ होते हैं और नियमित फॉलोअप से इनसे भी बचा जा सकता है।
“इनफ्लेटेबल इम्प्लांट कराइए, डरिए मत। अगर समस्या आई भी तो हम सर्जन हैं — उसे हल करना हमारी जिम्मेदारी है।”