
डायलिसिस और गुर्दे की विफलता (गुर्दा उत्पीडन और उसका इलाज) | दिल्ली में उपचार
गुर्दे की विफलता, जिसे हिंदी में गुर्दा उत्पीडन या किडनी फेलियर कहा जाता है, एक गंभीर चिकित्सीय स्थिति है जिसमें गुर्दे रक्त से विषाक्त पदार्थों और अतिरिक्त पानी को फिल्टर करने की क्षमता खो देते हैं। इस स्थिति में, मरीज के जीवित रहने के लिए डायलिसिस या गुर्दा प्रत्यारोपण आवश्यक हो जाता है। डायलिसिस एक ऐसी प्रक्रिया है जो कृत्रिम रूप से रक्त को साफ करती है, जो गुर्दे का प्राकृतिक कार्य है। डायलिसिस दो प्रकार की होती है: हेमोडायलिसिस (खून से डायलिसिस) और पेरिटोनियल डायलिसिस (पेट की झिल्ली के माध्यम से डायलिसिस)। दिल्ली में, डॉ. विजयंत गोविंदा गुप्ता, एक प्रसिद्ध मूत्र रोग विशेषज्ञ और लैप्रोस्कोपिक सर्जन, गोविंदा मेडिसेंटर में डायलिसिस और गुर्दे की विफलता के लिए उन्नत उपचार प्रदान करते हैं। वे पेरिटोनियल डायलिसिस कैथेटर प्रविष्टि (CAPD) और हेमोडायलिसिस के लिए AV फिस्टुला सर्जरी में विशेषज्ञ हैं। इस पेज पर, हम गुर्दे की विफलता, डायलिसिस के प्रकार, उनकी प्रक्रियाएँ, लाभ, और दिल्ली में उपचार की जानकारी विस्तार से प्रदान करेंगे। यदि आप दिल्ली में गुर्दे की विफलता का इलाज खोज रहे हैं, तो डॉ. गोविंदा की विशेषज्ञता और मरीज-केंद्रित दृष्टिकोण आपको स्वस्थ और स्वतंत्र जीवन जीने में मदद कर सकता है।

गुर्दे की विफलता क्या है? (Kidney Failure in Hindi)
गुर्दे हमारे शरीर के प्राकृतिक फिल्टर हैं, जो रक्त से विषाक्त पदार्थों (जैसे पोटेशियम, फॉस्फेट, सोडियम) और अतिरिक्त पानी को हटाकर मूत्र के रूप में बाहर निकालते हैं। गुर्दे की विफलता तब होती है जब गुर्दे यह कार्य करने में असमर्थ हो जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप रक्त में विषाक्त पदार्थ जमा होने लगते हैं। यह स्थिति क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD) के अंतिम चरण में या तीव्र गुर्दा चोट (AKI) के कारण हो सकती है। गुर्दे की विफलता के लक्षणों में शामिल हैं:
मूत्र उत्पादन में कमी
सूजन (पैरों, चेहरे, या हाथों में)
थकान और कमजोरी
साँस लेने में कठिनाई
उच्च रक्तचाप
मतली और उल्टी
गुर्दे की विफलता के मरीजों को जीवित रहने के लिए डायलिसिस या गुर्दा प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है। डायलिसिस रक्त को साफ करने का एक प्रभावी तरीका है, जो मरीजों को सक्रिय और स्वस्थ जीवन जीने में मदद करता है।
डायलिसिस के प्रकार
डायलिसिस दो मुख्य प्रकार की होती है: हेमोडायलिसिस और पेरिटोनियल डायलिसिस। दोनों का उद्देश्य रक्त से विषाक्त पदार्थों को हटाना है, लेकिन उनकी प्रक्रिया और जीवनशैली पर प्रभाव अलग-अलग होते हैं।
1. हेमोडायलिसिस (Hemodialysis in Hindi)
हेमोडायलिसिस में, मरीज का रक्त एक मशीन (डायलिसिस मशीन) के माध्यम से फिल्टर किया जाता है, जो विषाक्त पदार्थों और अतिरिक्त पानी को हटाती है। यह प्रक्रिया आमतौर पर अस्पताल या डायलिसिस सेंटर में सप्ताह में 3 बार, प्रत्येक सत्र 4-5 घंटे तक की जाती है। हेमोडायलिसिस के लिए रक्त तक पहुँचने हेतु AV फिस्टुला या कैथेटर की आवश्यकता होती है।
हेमोडायलिसिस के नुकसान:
बार-बार सुई चुभाना, जिससे दर्द और नसों में क्षति हो सकती है।
HIV, हेपेटाइटिस B, या रक्त感染 का जोखिम।
सप्ताह में 12-15 घंटे अस्पताल में बिताने की आवश्यकता।
रक्तचाप में उतार-चढ़ाव।
सहायक या परिचर की आवश्यकता।
व्यस्त जीवनशैली पर प्रभाव।
2. पेरिटोनियल डायलिसिस (Peritoneal Dialysis in Hindi)
पेरिटोनियल डायलिसिस एक वैकल्पिक और अधिक सुविधाजनक डायलिसिस विधि है, जो घर पर की जा सकती है। इसमें पेट की गुहा में मौजूद पेरिटोनियम (एक पतली झिल्ली) का उपयोग रक्त को फिल्टर करने के लिए किया जाता है। पेरिटोनियल डायलिसिस दो प्रकार की होती है:
कंटीन्यूअस एम्बुलेटरी पेरिटोनियल डायलिसिस (CAPD): मैन्युअल प्रक्रिया, जिसमें मरीज दिन में 3-4 बार तरल पदार्थ (डायलिसिस फ्लूइड) को पेट में डालता और निकालता है।
ऑटोमेटेड पेरिटोनियल डायलिसिस (CCPD): मशीन (साइक्लर) द्वारा रात में स्वचालित रूप से तरल पदार्थ का आदान-प्रदान किया जाता है।
पेरिटोनियल डायलिसिस कैसे काम करती है?पेट में एक नरम ट्यूब (CAPD कैथेटर) डाली जाती है, जिसके माध्यम से डायलिसिस फ्लूइड पेट की गुहा में डाला जाता है। यह फ्लूइड पेरिटोनियम झिल्ली के माध्यम से रक्त से विषाक्त पदार्थों और अतिरिक्त पानी को अवशोषित करता है। 4-6 घंटे बाद, फ्लूइड को निकालकर नया फ्लूइड डाला जाता है। यह प्रक्रिया दिन में 3-4 बार (CAPD) या रात में स्वचालित रूप से (CCPD) की जाती है।
पेरिटोनियल डायलिसिस के लाभ:
घर पर उपचार: अस्पताल जाने की आवश्यकता नहीं, जिससे समय और ऊर्जा की बचत होती है।
लचीलापन: मरीज अपनी सुविधा के अनुसार डायलिसिस का समय निर्धारित कर सकता है।
दर्दरहित: कोई सुई चुभाना नहीं, जिससे HIV या हेपेटाइटिस का जोखिम नहीं।
बेहतर रक्तचाप नियंत्रण: कम दवाओं की आवश्यकता।
सक्रिय जीवनशैली: मरीज जॉगिंग, साइकिलिंग, और अन्य दैनिक गतिविधियाँ बिना रुकावट कर सकता है।
कम समय: CAPD में प्रतिदिन केवल 1.5 घंटे (30 मिनट x 3 बार) लगते हैं।
हेमोडायलिसिस का विकल्प हैं पेरिटोनियल डायलिसिस / सतत चल पेरिटोनियल डायलिसिस या सीएपीडी है।
पेरिटोनियल डायलिसिस में एक ट्यूब या एक नरम कैथेटर (सीएपीडी कैथेटर प्रविष्टि) (PERITONEAL CATHETER HINDI), आपके पेट की गुफा के अंदर रखा जाएगा। इस ट्यूब (सीएपीडी कैथेटर प्रविष्टि) (PERITONEAL DIALYSIS CATHETER INSERTION HINDI) द्वारा , तरल पदार्थ (से आ प डी फ्लूइड) (CAPD FLUID) एक दिन में तीन बार के पेट के अंदर डाल दिया जाएगा। इस प्रक्रिया को करने के लिए 15 से 20 मिनट की आवश्यकता है। फिर तरल पदार्थ को अंदर छोड़ दिया जाएगा ५ ६ घंटे के लिए , और मरीज को अपने दैनिक कामकाज और गतिविधियों के लिए स्वतंत्र कर दिया जाता हैं । 4 से 5 घंटे के बाद तरल पदार्थ निकाल दिया जाता है और नए सिरे से तरल पदार्थ के अंदर डाल दिया जाता है। इस तरह प्रदार्थ अपना काम करता रहेगा और मरीज़ जीवन जीने के लिए फ्री हैं।
पेरिटोनियल डायलिसिस कैथेटर प्रविष्टि (CAPD Catheter Insertion)
पेरिटोनियल डायलिसिस की सफलता कैथेटर की सही प्रविष्टि पर निर्भर करती है। डॉ. विजयंत गोविंदा दिल्ली एनसीआर में लैप्रोस्कोपिक CAPD कैथेटर प्रविष्टि के विशेषज्ञ हैं, जो सबसे उन्नत और सुरक्षित तकनीक है।
प्रक्रिया:
एनेस्थेसिया: प्रक्रिया सामान्य या स्थानीय एनेस्थेसिया के तहत की जाती है, जिससे कोई दर्द नहीं होता।
चीरा: नाभि के पास एक छोटा चीरा लगाकर कैथेटर को पेट की गुहा में डाला जाता है।
अवधि: यह एक डे-केयर प्रक्रिया है, और मरीज उसी दिन या अगले दिन घर जा सकता है।
प्रशिक्षण: मरीज को CAPD या CCPD प्रक्रिया के लिए 1-2 सप्ताह का प्रशिक्षण दिया जाता है, जो घर या सेंटर पर हो सकता है।
उपयोग: कैथेटर का कार्यक्षमता परीक्षण 1 सप्ताह बाद किया जाता है, और डायलिसिस 14 दिनों में शुरू हो सकती है।
लैप्रोस्कोपिक CAPD कैथेटर प्रविष्टि के लाभ:
कम जटिलताएँ और उच्च सफलता दर।
शुरुआती और देर से विफलता का जोखिम कम।
संक्रमण की संभावना कम।
अल्ट्रासाउंड-गाइडेड या ओपन सर्जरी की तुलना में बेहतर परिणाम।
नोट: कैथेटर की सफलता के लिए अनुभवी सर्जन का चयन महत्वपूर्ण है। डॉ. गोविंदा की विशेषज्ञता और दिल्ली एनसीआर में उनकी सिद्ध उपलब्धियाँ मरीजों को विश्वास दिलाती हैं।
AV फिस्टुला सर्जरी (AV Fistula Surgery for Hemodialysis)
हेमोडायलिसिस के लिए रक्त तक पहुँचने हेतु एक मजबूत और मोटी नस की आवश्यकता होती है। AV (आर्टेरियोवेनस) फिस्टुला सर्जरी एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें सर्जन कलाई या बांह में धमनी को नस से जोड़ता है, जिससे नस मोटी और मजबूत हो जाती है। यह फिस्टुला 6-12 सप्ताह में परिपक्व (मैच्योर) हो जाता है और डायलिसिस के लिए बार-बार उपयोग किया जा सकता है।
AV फिस्टुला सर्जरी की आवश्यकता क्यों?
बड़ी नस की आवश्यकता: डायलिसिस मशीन को प्रति मिनट 400-500 मिलीलीटर रक्त प्रवाह की आवश्यकता होती है, जो केवल मोटी नस से संभव है।
बार-बार सुई चुभाने से बचाव: गले या जांघ की नसों में बार-बार सुई चुभाने से नसें क्षतिग्रस्त हो सकती हैं, जिससे दर्द, रक्तस्राव, और感染 का जोखिम बढ़ता है।
लंबे समय तक उपयोग: एक परिपक्व AV फिस्टुला वर्षों तक डायलिसिस के लिए उपयोगी रहता है।
AV फिस्टुला सर्जरी की प्रक्रिया:
मूल्यांकन: सर्जन पहले मरीज की नसों और धमनियों का अल्ट्रासाउंड या Doppler टेस्ट के माध्यम से आकलन करता है।
एनेस्थेसिया: प्रक्रिया स्थानीय एनेस्थेसिया के तहत की जाती है।
सर्जरी: कलाई या बांह (आमतौर पर गैर-प्रमुख बांह) में धमनी को नस से जोड़ा जाता है। यह एक डे-केयर प्रक्रिया है, और मरीज उसी दिन घर जा सकता है।
रिकवरी: मरीज को 3-4 दिनों तक बांह को आराम देना होता है। फिस्टुला 6-8 सप्ताह में परिपक्व होकर उपयोग के लिए तैयार हो जाता है。
AV फिस्टुला सर्जरी की सफलता दर:AV फिस्टुला सर्जरी की सफलता कई कारकों पर निर्भर करती है:
मरीज के कारक: आयु, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, या पिछले डायलिसिस का इतिहास।
डॉक्टर के कारक: सर्जन की योग्यता, अनुभव, और सही नस-धमनी का चयन।
तकनीकी कारक: उचित सर्जिकल तकनीक और पोस्ट-ऑपरेटिव देखभाल।
डॉ. विजयंत गोविंदा दिल्ली एनसीआर में AV फिस्टुला सर्जरी में विशेषज्ञ हैं, और उनकी सटीक तकनीक और अनुभव उच्च सफलता दर सुनिश्चित करते हैं।
AV फिस्टुला के लाभ:
डायलिसिस के लिए स्थायी और सुरक्षित रक्त पहुँच।
कम दर्द।
बार-बार गले या जांघ में कैथेटर डालने की आवश्यकता नहीं।
लंबे समय तक उपयोगी।
पेरिटोनियल डायलिसिस (सीएपीडी) कैथेटर प्रविष्टि / पेरिटोनियल डायलिसिस (सीएपीडी) कैथेटर सर्जरी
कैथिटर सही ढंग से और जटिलताओं के बिना न डाला जाएं तो पेरिटोनियल डायलिसिस या सीएपीडी के फायदे काम हो सकते हैं। सीएपीडी कैथेटर प्रविष्टि के कई तरीके हैं, लेकिन नवीनतम तरीका और सबसे बेहतरीन हैं लेप्रोस्कोपिक सीएपीडी कैथेटर प्रविष्टि। सीएपीडी कैथेटर सर्जरी / सीएपीडी कैथेटर प्रविष्टि की सफलता निम्नलिखित मानकों पर आंकी जाती है। सीएपीडी कैथेटर नियुक्ति के बाद कार्य करना चाहिए – अगर यह जैम हो जाए या बंद पद जाए तो पूरी म्हणत बेकार शुरुआती विफलता – डालने के ३० दिन के अंदर कैथिटर ख़राब। देर विफलता – सीएपीडी कैथेटर प्रविष्टि के 30 दिनों के बाद। संक्रमण और जटिलताओं। पर्याप्त सबूत से पता चलता है कि लैपरोस्कोपिक सर्जरी सभी मापदंडों बेहतर है। अल्ट्रासाउंड मार्गदर्शन से सीएपीडी कैथेटर प्रविष्टि एक आम तरीका है,पर यह ज़्यादातर इस कारन से किआ जाता हैं की आपके डॉक्टर को और कोई तरीका पता नहीं। यह लैपरोस्कोपिक या ओपन सर्जरी से हीन हैं। पेरिटोनियल डायलिसिस कैथेटर नियुक्ति / प्रविष्टि या सीएपीडी कैथेटर नियुक्ति / प्रविष्टि अनेस्थेसिया में किआ जाता है ताकि आपको दर्द न हो। नाभि के पास एक छोटा चीरा होगा। आप अवलोकन और ड्रेसिंग के लिए रात भर रहने के लिए होगा। हम एक सप्ताह के बाद समारोह के लिए अपने सीएपीडी कैथेटर का परीक्षण करने और 14 दिनों में अपने सीएपीडी शुरू कर देंगे। आप की आवश्यकता होगी पेरिटोनियल डायलिसिस और सीएपीडी के लिए प्रशिक्षण, प्रशिक्षण अपनी इच्छा के अनुसार घर पर किया जा सकता है या अपने केंद्र पर। मैं दिल्ली एवं आसपास के क्षेत्रो में इस सर्जरी में परीक्षित हूँ।
डायलिसिस और AV फिस्टुला सर्जरी की लागत
दिल्ली में गोविंदा मेडिसेंटर में डायलिसिस और संबंधित सर्जरी की लागत किफायती और पारदर्शी है। अनुमानित लागत:
CAPD कैथेटर प्रविष्टि (लैप्रोस्कोपिक): 50,000-80,000 INR (सर्जरी और सुविधाओं के आधार पर)।
AV फिस्टुला सर्जरी: 30,000-50,000 INR (डे-केयर प्रक्रिया)।
पेरिटोनियल डायलिसिस फ्लूइड और उपकरण: मासिक लागत मरीज की आवश्यकता पर निर्भर।
हेमोडायलिसिस: प्रति सत्र 2,000-5,000 INR (अस्पताल/सेंटर के आधार पर)।
सटीक लागत और बीमा कवरेज के लिए, मरीजों को गोविंदा मेडिसेंटर से संपर्क करना चाहिए।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
पेरिटोनियल डायलिसिस घर पर की जा सकती है और अधिक लचीलापन प्रदान करती है, जबकि हेमोडायलिसिस के लिए अस्पताल में मशीन की आवश्यकता होती है और यह समय-गहन है।
लैप्रोस्कोपिक CAPD कैथेटर प्रविष्टि अत्यंत सुरक्षित है, विशेष रूप से डॉ. गोविंदा जैसे अनुभवी सर्जन द्वारा की जाए। यह कम जटिलताओं और उच्च सफलता दर के साथ होती है।
यह एक डे-केयर प्रक्रिया है, और सर्जरी में 1-2 घंटे लगते हैं। फिस्टुला 6-8 सप्ताह में परिपक्व हो जाता है।
गुर्दे की विफलता एक गंभीर स्थिति है, लेकिन डायलिसिस और उन्नत सर्जिकल प्रक्रियाओं जैसे पेरिटोनियल डायलिसिस (CAPD/CCPD) और AV फिस्टुला सर्जरी के साथ, मरीज एक सक्रिय और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। दिल्ली में, डॉ. विजयंत गोविंदा गुप्ता गोविंदा मेडिसेंटर में किफायती और प्रभावी उपचार प्रदान करते हैं, जिसमें लैप्रोस्कोपिक CAPD कैथेटर प्रविष्टि और AV फिस्टुला सर्जरी शामिल हैं। उनकी विशेषज्ञता, आधुनिक तकनीक, और मरीज-केंद्रित दृष्टिकोण मरीजों को आत्मविश्वास और सुविधा प्रदान करता है। यदि आप दिल्ली या आसपास के क्षेत्रों में गुर्दे की विफलता या डायलिसिस से संबंधित उपचार खोज रहे हैं, तो आज ही डॉ. गोविंदा से संपर्क करें और एक स्वस्थ, स्वतंत्र जीवन की ओर पहला कदम उठाएँ।